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Van Sansadhan वन संसाधन

Van Sansadhan वन संसाधन : प्राकृतिक संसाधनों का बहुत ही महत्वपूर्ण है। मानव आदिकाल से ही वनों पर आश्रित रहता है। और भारत में वृक्षों को देवता मानकर उसकी पूजा की जाती है। 1952 में घोषित वन नीति के अनुसार देश की कुल भूमि में लगभग 33% भाग पर वनों का होना आवश्यक है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वनों की अंधाधुंध कटाई और पुणे उतनी मात्रा में वन विकसित नहीं होने कारण लगातार वन क्षेत्र घटते जा रहे हैं। 2001 में कुल 19.40% वन रह गए हैं वहीं सरकार के प्रयास और जनचेतना से इसमें वर्दी होकर 2015 में 21.23% हो चुके हैं।

Van Sansadhan

Van Sansadhan वनों के विनाश के कारण

भारत में लगातार घटते वन क्षेत्रों के लिए दिल्ली कारण उत्तरदाई है जो नीचे लिखे गए हैं।

  1. भारत में कृषि हेतु भूमि की मांग में निरंतर वृद्धि।
  2. तीव्र औद्योगीकरण एवं शहरीकरण।
  3. घरेलू आवश्यकताओं के लिए वनों की कटाई।
  4. अनियंत्रित पशु चलाई।
  5. स्थानांतरित कृषि प्रणाली।
  6. बड़ी एवं बहुउद्देश्य से सिंचाई परियोजनाओं का विकास।
  7. सरकारी नियमों की अवहेलना।
  8. नगरीय जनसंख्या में लगातार वृद्धि।
  9. सत्ता का दुरुपयोग।
  10. बढ़ता हुआ खनन क्षेत्र।
  11. पेड़ पौधों में कीड़े एवं बीमारियों का लगना।
  12. जगलो में लगने वाली आग।

Van Sansadhan वनों के प्रकार

भारत की विशालता एक कारण हमारे यहां जलवायु उच्च अवस्था और मिट्टी की विद्या पाए जाने के कारण देश में विभिन्न प्रकार के वन पाए जाते हैं। जो निम्नलिखित है।

  1. उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन : उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन कहां पाए जाते हैं जहां 200 सेमी से अधिक वार्षिक वर्षा और 28 डिग्री सेल्सियस वार्षिक तापमान रहता है। यह वन हमेशा हरे भरे रहते हैं। यह मुख्य तीन क्षेत्र है। (1) उत्तरी पूर्वी भारत हिमालय के तराई प्रदेश असम मेघालय त्रिपुरा नागालैंड मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी भाग। (2) पश्चिमी घाट के पश्चिमी भाग तक महाराष्ट्र से लेकर केरल तक। (3) अंडमान और निकोबार दीप समूह। मुख्य वृक्ष :- लोहे कास्ट ,महागनी, गटापाचो, ईबोनी,नारियल,ताड़,रबड़, सिनकोना, बास ,जंगली आम ,बैत,चपलास वृक्ष और कई तरह की लताएं पाई जाती है।
  2. मानसूनी या पतझड़ वन :- मानसूनी वन 100 सेमी से लेकर 200 सेमी तक औसत वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं और इनका तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता है। वर्ष में एक बार ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभ में इन वनों के पत्तियां पूर्णता झड़ जाती है। इसलिए इन्हें पतझड़ वन कहते हैं तथा इन वृक्षों की ऊंचाई सामान्य तक 20 से 45 मीटर लंबी होती है तथा वृक्षों की कम संख्या 18 के बीच में घास भी उग जाती है। वह चित्र तथा यातायात के साधनों का विकास हो गया है। मुख्य वृक्ष :- सागवान, साल, शीशम, चंदन, रोजवुड, कुसुंम, हरड़ बहेड़ा आंवला आम, जामुन महुआ पीपल बरगद खेर आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
  3. उष्णकटिबंधीय वन :- उष्णकटिबंधीय वन यह 50 सेमी से लेकर 100 सेमी औसत वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं और इन वनों में 20 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तक औसत वार्षिक तापमान वाला क्षेत्र पाए जाते हैं। यह वन दो प्रमुख क्षेत्रों में पाए जाते हैं। (1) उत्तरी पश्चिमी भारत। (2)‌ दक्षिणी प्रायद्वीप के शुष्क भाग। मुख्य वृक्ष :- बबूल खेजड़ी आम जामुन नीम बरगद आंवला की कर आदि वृक्ष पाए जाते हैं।
  4. मरुस्थलीय वन :- भरूच के लिए वनों में सामान्यतः 50 सेमी से कम औसत वार्षिक वर्षा होती है और इनका तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से लेकर 35 डिग्री सेल्सियस तक रहता है। किस प्रकार के वन दक्षिणी पश्चिमी पंजाब पश्चिमी राजस्थान गुजरात और मध्य प्रदेश ओं में कम वसा वाले भागों में अधिक पाए जाते हैं इन वनों में वृक्षों की जड़े लंबी और मोटी होती है जिनसे शुष्क मौसम में गहराई से पानी प्राप्त कर वृक्ष जीवित रह सकते हैं। मुख्य वृक्ष :- नामपल्ली केयर खेजड़ी खजूर बबूल नीम पीपल बरगद धतूरा आदि।
  5. पर्वतीय वन या शीतोष्ण सदाबहार वन :- यह वन पूर्वी पश्चिमी मध्य प्रदेश असम की पहाड़ियां मध्य प्रदेश के पंचमढ़ी तथा महाराष्ट्र के महाबलेश्वर की पहाड़ियों में अधिक पाए जाते हैं। इन वृक्षों की पत्तियां गली और सदाबहार थोड़ा तनाव मोटा होता है। पेड़ों के तनों पर लताएं लिपटी हुई रहती है वृक्षों की ऊंचाई 15 से 18 मीटर तक होती है। मुख्य वृक्ष :- चीड़ देवदार लॉज चेस्टनट सनोवर आदि वृक्ष पाए जाते हैं। वन हमेशा सदा बाहर रहते हैं।
  6. ज्वारीय या दलदली वन :- यह वन मुख्य थे। गंगा ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा क्षेत्र तथा कृष्णा कावेरी महानदी और गोदावरी नदियों के मुहाने पर कीचड़ में दर्द अलीबाबा में अधिक पाए जाते हैं समुद्र तट पर ज्वार भाटा वृक्षों की जड़े खारे पानी में डूबी रहती है जड़ों से शाखाएं निकलकर चारों तरफ फैल जाती है वृक्ष चंदा हरे भरे रहते हैं। इनकी लकड़ी मुलायम होती है।

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Van Sansadhan वन कितने प्रकार के होते हैं ?

भारत में जलवायु की विभिनता के अनुसार वनों को छह अलग-अलग प्रकार में बांटा गया है।

Van Sansadhan मरुस्थली वनों में सामान्य पर कितने औसत सेमी वर्षा होती है ?

मरुस्थली वनों में समानता 50 सेमी से कम औसत वर्षा होती है और तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से लेकर 35 डिग्री सेल्सियस तक औसत वार्षिक तापमान रहता है।

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