B.ED D.EL.ED New Rule Chenge : राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद् (एनसीटीई) ने वर्ष 2025 में बीएड (B.Ed) और डीएलएड (D.El.Ed) पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए कुछ नए नियम लागू किए हैं। इन नियमों का उद्देश्य शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना और शिक्षार्थियों को अधिक व्यावहारिक अनुभव देना है।
एक साथ दो पाठ्यक्रम नहीं
नए नियमों के अंतर्गत, विद्यार्थी अब एक ही समय पर दोनों पाठ्यक्रम — बीएड और डीएलएड — में नामांकन नहीं कर सकेंगे। पहले यह प्रथा हुई करती थी कि कई छात्र समय की बचत के लिए दोनों पाठ्यक्रम एक साथ करते थे। लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित किए बिना ऐसा करना संभव नहीं था। अब छात्र को केवल एक ही पाठ्यक्रम चुनना होगा और उसी में पूरी निष्ठा से अध्ययन करना होगा।
छः माह की अनिवार्य प्रशिक्षुता
एक और महत्वपूर्ण परिवर्तन यह है कि अब बीएड और डीएलएड दोनों पाठ्यक्रमों में छह माह की व्यावहारिक प्रशिक्षुता अनिवार्य कर दी गई है। यह प्रशिक्षुता उन स्कूलों में करनी होगी जिन्हें एनसीटीई द्वारा अधिकृत किया गया हो। इस कदम का मुख्य उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी पहले ही वास्तविक कक्षा-परिस्थितियों में भाग लें और शिक्षा प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझें।
केवल अधिकृत संस्थानों से डिग्री स्वीकार्य
नए नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि केवल उन्हीं संस्थानों से प्राप्त डिग्री को वैध माना जाएगा, जिन्हें एनसीटीई ने मान्यता दी हो। यदि किसी अनधिकृत संस्थान से पाठ्यक्रम पूरा किया गया हो, तो वह डिग्री अमान्य मानी जाएगी। ऐसे छात्रों को भविष्य में नौकरी या आगे की शिक्षा में समस्या हो सकती है।
ऑनलाइन शिक्षा पर प्रतिबंध
डिजिटल शिक्षा का महत्व है, लेकिन नए नियमों के अनुसार पूरा बीएड या डीएलएड पाठ्यक्रम ऑनलाइन नहीं हो सकेगा। केवल सैद्धांतिक विषयों के कुछ मॉड्यूल ही ऑनलाइन किए जा सकेंगे। व्यावहारिक प्रशिक्षण और शिक्षण प्रयासों के लिए छात्र को संस्थान में उपस्थित होना अनिवार्य होगा। यह कदम शिक्षार्थियों को केवल पाठ्यपुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहने और वास्तविक अध्यापन कौशल प्राप्त करने में सहायक होगा।
प्रवेश लेने से पहले सतर्कता
नए नियमों की रणनीति को सफल बनाने के लिए छात्रों को संस्थान चुनते समय सावधानी बरतनी होगी।
- पहले यह सुनिश्चित करें कि संस्थान को एनसीटीई मान्यता प्राप्त हो।
- संस्थान की शुल्क संरचना, प्रशिक्षुता की व्यवस्था और संस्थान की विश्वसनीयता को जाँचे।
- यदि भविष्य में उस संस्थान से प्राप्त डिग्री अमान्य हो जाए, तो छात्र की मेहनत तथा समय दोनों बेकार हो सकते हैं।
इन संशोधनों को शिक्षक शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
पहले जहाँ दोहरी उपाधि लेने की प्रवृत्ति थी, वहीं अब छात्रों को अपने एक पाठ्यक्रम पर पूरी तरह केन्द्रित होना होगा। इससे शिक्षा में अधिक गंभीरता और पेशेवर दृष्टिकोण आएगा।
छात्रों को प्राप्त होंगे लाभ
नए नियमों से छात्रों को निम्न लाभ मिलने की उम्मीद है:
- उन्हें अधिक व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।
- प्रशिक्षुता के दौरान कक्षा स्थित अनुभव मिलेगा, जो आत्मविश्वास बढ़ाएगा।
- अध्यापन कौशल धीरे-धीरे मजबूत होगा।
- गुणवत्ता युक्त शिक्षक तैयार होंगे जो शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाएँगे।
एनसीटीई द्वारा लागू ये नए निर्देश बीएड एवं डीएलएड कार्यक्रमों को अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। इन नियमों के पालन से न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि छात्रों और भविष्य के शिक्षकों को बेहतर अवसर प्राप्त होंगे। योग्य संस्थान चुनना, प्रशिक्षुता को गंभीरता से लेना और व्यावहारिक शिक्षण का महत्व समझना अब और भी अधिक ज़रूरी हो गया है।
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